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भस्म लेखनी कविता -08-June -2024

आज दिनांक ८.६.२४ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
..............................भस्म---------------------
भस्म शब्द के अर्थ बहुत,जान न पावे कोय,
कोई कहे भभूति है,राख न माने कोय।

आनन्द चुप हो देखिये भस्म शब्द के ज्ञान,
बड़े पुरोधा विद्वतजन भी सोच रहे पुर ध्यान।

यह शरीर तो बन्दे बस चार दिन का मेहमान
क्यों करना ग़ुरूर है भस्म ही इसको जान।

क्या गोरा क्या सांवला गति है सबकी एक,
भस्म हो सब ही एक हैं न भस्म के रंग अनेक।

कोई कहें अल्लाह है कोई कहे प्रभु राम,
सर्वशक्तिमान एक है,अनेक हैं उसके नाम ।

बाबा आनन्द कह रहे जप लो राधेश्याम,
सफल हो जीवन यही, अल्लाह"प्रभु एक समान।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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1 Comments

Anjali korde

12-Jun-2024 09:36 AM

Amazing

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